दिल्ली अब दिल्ली-सी
लगने लगी है
यह जगह अब अपनी -सी
लगने लगी है,
भले ही हो यहाँ पर
समस्याएं अनेक
पर
दिल्ली अब मन को
भाने लगी है,
ये कॉलेज, ये हॉस्टल
सब अपना-सा लगने लगा है,
यहाँ की दीवारे भी अब
पहचानने लगी है,
यहाँ लगे पेड़-पौधे से
भी अब
बात होने लगी है,
यहाँ पड़ने वाली
कड़ाके की सर्दी से भी
अब
मोहब्बत होने लगी है !!
लगने लगी है
यह जगह अब अपनी -सी
लगने लगी है,
भले ही हो यहाँ पर
समस्याएं अनेक
पर
दिल्ली अब मन को
भाने लगी है,
ये कॉलेज, ये हॉस्टल
सब अपना-सा लगने लगा है,
यहाँ की दीवारे भी अब
पहचानने लगी है,
यहाँ लगे पेड़-पौधे से
भी अब
बात होने लगी है,
यहाँ पड़ने वाली
कड़ाके की सर्दी से भी
अब
मोहब्बत होने लगी है !!
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