चाय बेचने वाला
ट्रेन में
झाँकतें हुए,
मुसाफ़िर की आँखों
में खोजता है
चाय पीने की
चाह को
और
चाय-चाय पुकारते हुए
बढ़ता रहता है
निरंतर आगे
इस आस में
कि
कोई चाय माँगेगा
और वो उसे अपनी
शर्ट की ऊपरी जेब में
रखे कपों में भरकर
एक परोक्ष ख़ुशी
के साथ
चाय पिलायेगा ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
ट्रेन में
झाँकतें हुए,
मुसाफ़िर की आँखों
में खोजता है
चाय पीने की
चाह को
और
चाय-चाय पुकारते हुए
बढ़ता रहता है
निरंतर आगे
इस आस में
कि
कोई चाय माँगेगा
और वो उसे अपनी
शर्ट की ऊपरी जेब में
रखे कपों में भरकर
एक परोक्ष ख़ुशी
के साथ
चाय पिलायेगा ।
द्वारा - नीरज 'थिंकर'
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