आज अचानक
घर की याद
आ गयी,
घर में बैठे
बुज़ुर्ग दादा जी
आँखों में तेरने लगे
पिताजी हाथ में
अख़बार लिए
याद आने लगे
माँ रोटी सेंकती
हुयी
मुझे पुकारने लगी
दादी माँ पुरानी
कहानियों के साथ बैठ
मुझसे बतियाने लगी
माँ खेत जाने से पहले
खाना खा लेना,
कहीं जाना मत धूप में
जैसी हिदायतें देकर
जाने लगी
आज मुझे घर की
याद ,
अचानक यूँ आने लगी !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर '
घर की याद
आ गयी,
घर में बैठे
बुज़ुर्ग दादा जी
आँखों में तेरने लगे
पिताजी हाथ में
अख़बार लिए
याद आने लगे
माँ रोटी सेंकती
हुयी
मुझे पुकारने लगी
दादी माँ पुरानी
कहानियों के साथ बैठ
मुझसे बतियाने लगी
माँ खेत जाने से पहले
खाना खा लेना,
कहीं जाना मत धूप में
जैसी हिदायतें देकर
जाने लगी
आज मुझे घर की
याद ,
अचानक यूँ आने लगी !!
द्वारा - नीरज 'थिंकर '
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